धर्मरहित विज्ञान लंगड़ा है, और विज्ञान रहित धर्म अंधा। 

धर्मरहित विज्ञान लंगड़ा है, और विज्ञान रहित धर्म अंधा।

अर्थघटन : धर्मरहित विज्ञान लंगड़ा है, और विज्ञान रहित धर्म अंधा। 

विज्ञान और धर्म दोनों एक सिक्के के दो पहलू है। धर्म कभी विज्ञान को अस्वीकार नहीं कर सकता नहीं तो धर्म लंगड़ा हो जाता है। उसी प्रकार विज्ञान भी धर्म को मानने से इनकार नहीं कर सकता नहीं तो विज्ञान भी अंधा हो सकता है ।

इसी प्रकार दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं । हमें विज्ञान को मानना चाहिए और धर्म पर भरोसा रखना चाहिए तभी हम हमारा और हमारे देश का विकास कर पाएंगे ।

क्योंकि धर्म में हम कभी किसी चीज का विरोध नहीं कर सकते क्योंकि आस्था का प्रतीक हैं । जबकि विज्ञान एक स्वीकृत है जिसे सारे नीति नियमों से सिद्ध किया गया है ।

इस प्रकार हमें दोनों चीजों को स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए।

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