विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ़ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन

विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ़ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते। ~ अल्बर्ट आइंस्टीन

अर्थघटन : विश्व एक महान पुस्तक है जिसमें वे लोग केवल एक ही पृष्ठ पढ़ पाते हैं जो कभी घर से बाहर नहीं निकलते।

अगर हम इस दुनिया को एक पुस्तक की तरह देखें तो यह एक बहुत बड़ा और एक बहुत ही महान और सुंदर पुस्तक है ।

लेकिन जो लोग इसका लाभ नहीं उठा सकते तात्पर्य है खाली ऊपर का पृष्ठ या अंदर का एक ही पृष्ठ पढ़कर इस पुस्तक को छोड़ देते हैं । यानी की दुनिया का मजा लेते नहीं है पूरी दुनिया को देखते नहीं है और घर में बैठे रहते है।

वह हमेशा घर में ही बैठे रह जाते हैं इसीलिए तो कहते हैं कि जो लोग विश्व नामक एक पुस्तक का खाली एक ही पृष्ठ पढ़ते हैं वह पूरी जिंदगी कुछ नहीं कर पाते और घर में ही बंदे रह जाते हैं।

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