वर्षा ऋतु, जिसे हम मानसून भी कहते हैं, भारतीय उपमहाद्वीप में विशेष महत्व रखती है। यह हर साल जून से सितंबर के बीच आती है और पूरे देश को हरितिमा से भर देती है। वर्षा ऋतु का मुख्य कारण दक्षिण-पश्चिम मानसून का सक्रिय होना है, जो समुद्र से उठने वाली नमी को भूमि पर लाता है।
वर्षा ऋतु का आगमन किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस समय धरती में नमी आती है, जो फसलों के लिए आवश्यक है। धान, गेंहू, और बाजरा जैसी फसलें वर्षा के मौसम में बोई जाती हैं। इस ऋतु में खेतों में हरियाली छा जाती है और किसान खुशी से अपने काम में जुट जाते हैं।
वर्षा ऋतु का वातावरण भी बेहद सुखद होता है। बारिश की बूंदों की आवाज, ठंडी हवाएँ और बादल छाए रहना मन को शांति प्रदान करता है। बच्चे बारिश में खेलने के लिए बेताब रहते हैं। बारिश के साथ ही नदियों और तालाबों में पानी भर जाता है, जिससे जल जीवन में भरपूरता आती है।
हालांकि, वर्षा ऋतु के कुछ दुष्परिणाम भी होते हैं। कभी-कभी अत्यधिक बारिश बाढ़ का कारण बन सकती है, जिससे जनजीवन प्रभावित होता है। इसके अलावा, बारिश के मौसम में कुछ बीमारियाँ भी फैल सकती हैं, जैसे डेंगू और मलेरिया।
कुल मिलाकर, वर्षा ऋतु भारतीय कृषि और पारिस्थितिकी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल प्रकृति को जीवंत बनाती है, बल्कि हमारी सामाजिक और आर्थिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस ऋतु का स्वागत हर साल बड़ी खुशी और उमंग के साथ किया जाता है।