बहुब्रीहि समास– परिभाषा, भेद और उदाहरण, Bahuvrihi Samas

बहुब्रीहि समास

बहुब्रीहि समास वह समास है जिसमें दोनों पद मिलकर किसी अन्य वस्तु या व्यक्ति का बोध कराते हैं। इस समास में समस्त पद का अर्थ दोनों पदों के योग से अलग और नया होता है। इस समास में मुख्यतः अर्थ लोप होता है, और समस्त पद किसी तीसरी वस्तु का द्योतक होता है।

  • उदाहरण:
    • पीताम्बर: पीला + अम्बर → जिसका वस्त्र पीला हो।
    • दशानन: दस + आनन → जिसका दस मुख हो।

बहुब्रीहि समास के भेद

बहुब्रीहि समास के स्पष्ट भेद नहीं होते, लेकिन इसे विशेषण और संज्ञा पर आधारित विभाजन के रूप में देखा जा सकता है:

  1. विशेषण प्रधान बहुब्रीहि:
    • जिसमें पहला पद विशेषण हो।
    • उदाहरण: हरितपट, शुभचरण।
  2. संज्ञा प्रधान बहुब्रीहि:
    • जिसमें पहला पद संज्ञा हो।
    • उदाहरण: चन्द्रमुख, कमलनयन।

बहुब्रीहि समास के उदाहरण

समस्त पदविग्रहअर्थ
नीलकंठनीला + कंठजिसका कंठ नीला हो (शिव)
दशाननदस + आननजिसके दस मुख हों (रावण)
पीताम्बरपीला + अम्बरजिसने पीला वस्त्र धारण किया हो
चन्द्रमुखचन्द्र + मुखजिसका मुख चन्द्र के समान हो
कमलनयनकमल + नयनजिसकी आँखें कमल जैसी हों
हरितपटहरित + पटजिसने हरा वस्त्र पहना हो
मृगनयनीमृग + नयनीजिसकी आँखें मृग जैसी हों
श्वेताश्वश्वेत + अश्वजिसके घोड़े सफेद हों
महावीरमहा + वीरजो बहुत वीर हो
जलजजल + जजो जल में उत्पन्न हुआ हो (कमल)
सुवर्णमालासुवर्ण + मालाजो स्वर्ण की माला पहने हुए हो
रक्तचन्दनरक्त + चन्दनलाल रंग का चन्दन
चतुर्भुजचार + भुजजिसके चार भुजाएँ हों (विष्णु)
सिंहासनसिंह + आसनजो सिंह के समान स्थिर हो
अर्धचन्द्रआधा + चन्द्रजो आधा चन्द्र के आकार का हो
शतपत्रसौ + पत्रजिसके सौ पत्ते हों (कमल)
सिंहहृदयसिंह + हृदयजिसका हृदय सिंह जैसा हो
अमृतघटअमृत + घटजिसमें अमृत हो
चन्द्रहासचन्द्र + हासजो चन्द्र की तरह चमकता हो
शुभचरणशुभ + चरणजिसके चरण शुभ हों
श्वेताम्बरश्वेत + अम्बरजिसने सफेद वस्त्र धारण किया हो
मकरध्वजमकर + ध्वजजिसका ध्वज मकर के चिन्ह वाला हो
रामदूतराम + दूतजो राम का दूत हो (हनुमान)
महाशक्तिमहा + शक्तिजो अत्यधिक शक्तिशाली हो
पंचाननपाँच + आननजिसके पाँच मुख हों
जलपादजल + पादजिसका पैर जल में हो
सुवर्णकांतीसुवर्ण + कांतीजिसकी कांती स्वर्ण जैसी हो
मणिमालामणि + मालामणियों की माला
सुखसागरसुख + सागरजो सुख का सागर हो
नीलदर्पणनीला + दर्पणजो नीला दर्पण हो
पुण्यश्रीपुण्य + श्रीजो पुण्यवान हो
सुधाकरसुधा + करजो अमृत देने वाला हो (चन्द्र)
ज्ञानसागरज्ञान + सागरजो ज्ञान का भंडार हो
सर्पराजसर्प + राजसर्पों का राजा (शेषनाग)
नवरत्ननौ + रत्नजिसमें नौ रत्न हों
अश्वमेधअश्व + मेधघोड़े का यज्ञ
धर्मपत्नीधर्म + पत्नीधार्मिक पत्नी
व्योमचरीव्योम + चरीजो आकाश में चलता हो
नागराजनाग + राजनागों का राजा
चक्रधरचक्र + धरजो चक्र धारण करता हो (कृष्ण)
गजगामिनीगज + गामिनीजिसकी चाल हाथी जैसी हो
धृतराष्ट्रधृत + राष्ट्रजिसने राष्ट्र धारण किया हो
हिमगिरिहिम + गिरिहिम से ढका हुआ पर्वत (हिमालय)
अचलधामअचल + धामस्थिर स्थान (पर्वत)
जगदीशजगत + ईशसंसार का स्वामी
नीलभानुनीला + भानुनीला सूर्य
व्योमेशव्योम + ईशआकाश का स्वामी
महायोद्धामहा + योद्धामहान योद्धा
त्रिलोकनाथतीन + लोक + नाथतीनों लोकों का स्वामी
अग्निपंखअग्नि + पंखअग्नि के समान पंख
स्वर्णाभूषणस्वर्ण + आभूषणस्वर्ण के आभूषण
अमृतकुंभअमृत + कुंभअमृत का पात्र
मृगशिरामृग + शिरामृग के सिर के आकार का
जलनिधिजल + निधिजल का भंडार (समुद्र)
सत्यधर्मसत्य + धर्मसच्चा धर्म
पर्वतराजपर्वत + राजपर्वतों का राजा (हिमालय)
रक्तकमलरक्त + कमललाल रंग का कमल
गगनचुम्बीगगन + चुम्बीआकाश को चूमने वाला
हरिगंधहरि + गंधहरि की गंध
वज्रांगवज्र + अंगजिसके अंग वज्र के समान हों
अशोकवनअशोक + वनअशोक वृक्षों का वन
सुवर्णरत्नसुवर्ण + रत्नस्वर्ण का रत्न
स्वर्णभूषास्वर्ण + भूषास्वर्ण की भूषा
देवभक्तदेव + भक्तदेवताओं का भक्त
पुष्पमालापुष्प + मालाफूलों की माला
चिरंजीवीचिर + जीवजो सदैव जीवित रहे
वरदहस्तवर + हस्तवर देने वाला हाथ
शान्तिपुंजशान्ति + पुंजशान्ति का समूह
अन्नदाताअन्न + दाताअन्न देने वाला

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